Pratishodh - 1 in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | प्रतिशोध - 1

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प्रतिशोध - 1

शाम होने को थी।रानी हड़बड़ाकर उठी।।उसने कपडे निकाले औऱ आदमकद शीशे के सामने आकर खड़ी हो गयी।उसने मैक्सी पहन रखी थी।उसने मेकशी उतारी।मैक्सी के नीचे उसने कुछ नही पहना था।मैक्सी खोलते ही वह निर्वस्त्र हो गयी।
काफी देर तक वह शीशे में अपने ही निर्वस्त्र शरीर को निहारने लगी।गोरा छरहरा बदन औऱ तीखे नैन नक्श।फिर उसने पहले पेटीकोट पहना फिर ब्लाउज।फिर दर्पण के सामने बैठकर संवरने लगी।माथे पर बिंदी, होठो पर कठैई रंग की लिपस्टिक और बालों को करीने से सवांरने के बाद।उसने ब्लाउज भी कठैई और लिपस्टिक भी इसी रंग की लगाई थी।इसलिये साड़ी भी इसी रंग की पहनी थी।और फिर उसने अपने कपड़ों पर तेज र परफ्यूम छिड़का था।
और फिर वह घर से बाहर आकर सड़क के किनारे खड़ी हो गयी।वह ऑटो का ििइंतजआरतजर करने लगी।एक एक करके कई ऑटो उसके सामने से निकल गए।लेकिन कोई खाली नही था।काफी देर बाद एक खाली ऑटो उसके सामने आकर रुका था।वह उसमे बेथ गयी थी
"कहाँ चलना है?"ऑटो वाले ने पूछा था
"स्टेशन
और ऑटो चल पड़ा था।और कुछ देर बाद ऑटो स्टेशन जा पहुंचा।उसने ऑटो वाले को पैसे दिये और वह अंदर आ गयी।प्लेटफार्म पर मुम्बई जाने वाली ट्रेन खड़ी थी।वह ट्रेन के अंदर आकर बैठ गई थी।
ट्रेन में बैठने वाली सुंदर अप्सरा सी औरत का नाम था रानी।रानी आज पहली बार मुम्बई नही जा रही थी।मुम्बई जाने का सिलसिला उसने एक साल पहले शुरू किया था।और एक साल से वह रोज शाम को इसी ट्रेन से मुम्बई जाती थी।वह शिकार करने के लिये उम्बई जाती थी।वह कोई जानवर या मक्षलीका शिकार करने के लिए नही जाती थी।उसका शिकार होते थे मर्द।जी हां उसका शिकार होते थे मर्द
रात शुरू होने से पहले वह मुम्बई स्टेशन पहुंच जाती थी।फिर वह यहाँ से लोकल ट्रेन में सवार हो जाती।किसी एक ट्रेन में वह सफर नही करती थी।रोज अलग अलग दिशाओं में अलग अलग ट्रेन में वह जाती थी।ट्रे में सफर मरते हुए वह यह तलाह करती या उसकी खोजी निगाहे जायज लेती की को न से मर्द उसके जाल या चुंगल में फंस सकता है।उसका शिकार बन सकता है।
कभी कभी ऐसा भी होता था कि उसकी तलाश ट्रेन में पूरी न होती।उसे कोई ऐसा मर्द नजर नही आता जो उसका शिकार बन सके।उसके जाल में फंस सके तब वह किसी ऐसे स्टेशन पर उतर जाती जहाँ पर उसे भीड़ ज्यादा नजर आती।
फिर वह प्लेटफॉर्म पर चक्कर लगाने लगती वह ऐसे मर्दों को तलाशती जो भीड़ में अलग गुमसुम और उदास खड़े हो लेकिन वह इस बात का ध्यान रखती।देखने मे वह मर्द सभ्य नजर आने के साथ सम्पन्न भी नजर आए।
फिर वह उस मर्द के इर्द गिर्द चक्कर लगाती और उसके पास जाकर धीरे से कहती
स्लीपिंग पार्टनर चाहिए
कई बार उसकी खोज एक ही बार मे पूरी हो जाती।लेकिन कभी कभी उसे कई मर्दो के पास जाकर उसे यह बात दोहरानी पड़ती।
और रोज कोई न कोई मर्द उसके रूप पर मोहित होकर उसकी बातों में आकर उसे घर ले जाने के लिय तैयार हो ही जाता।उस मर्द के साथ उसके घर जाते समय वह छुई मुई सी बनी रहती।
उसका मुंह खुलता लेकिन